आक का पौधा

Dr.R.B.Dhawan (Astrological Consultant),

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साधारण पौधा आक आक अथवा मदार पूरे भारत में सरलता से उपलब्ध होने वाला एक महत्वपूर्ण पौधा है। यह दो प्रकार का होता है। एक वह जिसके फूल बैंगनी रंग लिये हुए होते हैं और दूसरा वह, जिसके फूल सफेद होते हैं। इसके फल देखने में कच्चे आम के समान होते हैं। ये ज्येष्ट माह में पक जाते हैं। इनके अंदर काले रंग के दाने तथा रूई जैसी निकलती हैं। यह झाड़ी नुमा होता है। इसकी पत्तियाँ मोटी तथा शिराओं वाली होती हैं। पत्तियों और हरे तने व शाखाओं को देखने पर ऐसा लगता है, मानो उन पर पाउडर छिड़का हुआ हो। पत्ती अथवा डण्डी को तोड़ने पर इसमें से दूध जैसा पदार्थ निकलता है।

आक के विभिन्न भाषाओं में नाम:-
श्वेत आक को संस्कृत में श्वेतार्क, मन्दार, सदापुश्प, बालार्क, प्रतापस आदि कहते हैं, जबकि बैंगनी फूल वाले आक को रक्तार्क, के नाम से पुकारते हैं। दोनों ही प्रकार के आक को हिन्दी में आक, अकवन या मदार (सफेद या लाल) व सफेद या लाल अकौआ भी कहते हैं।

वनस्पति जगत के एसक्लेपीडेसी ;। बेसमचपकंबमंमद्ध कुल का यह सदस्य है।

औषधिक चमत्कार

  1. वात रोगों में–श्वेत आक की जड़ को तिल के तेल में डालकर खूब उबाल लें। फिर इस तेल से रोगग्रस्त अंग की मालिश करें। नियमित रूप से इस तेल की मालिश करने से वातव्याधी के कारण हाथ, पैर, कमर में होने वाले दर्द से छुटकारा मिलता है।
  2. गठिया, और मोच में— आक के पत्तों पर मीठे तेल को चुपड़कर उसे हल्का सा सेंक कर गठिया ग्रस्त अंग पर बाँधने से लाभ होता है। घी में चुपड़कर यही प्रयोग करने से मोच के दर्द से मुक्ति मिलती है।
  3. शरीर में यदि छोटे-छोटे सफेद दाग हों तो— श्वेत आक के दूध में सेंधा नमक घिसकर छोटे-छोटे सफेद दागों पर लगाने से वे ठीक हो जाते हैं।
  4. एक्जिमा में– आक के दूध में समान मात्रा में तिल का तेल मिलाकर इस मिश्रण को एक्जिमा पर मलने से सात-आठ दिन में एक्जिमा से मुक्ति मिल जाती है।
  5. कुत्ता या बिच्छु के काटने पर— यदि किसी को कुत्ता या बिच्छु काट ले तो दंश-स्थान (जिस जगह काटा हो) पर आक का दूध लगाने से इनके विष का प्रभाव नष्ट हो जाता है।
  6. बवासीर में— बवासीर में आक के दूध में अफीम घोलकर, मस्सों पर लगाने से उनका दर्द दूर होता है।
  7. अण्डकोश बढ़ने पर–सफेद आक की जड़ घिसकर लेप करने से अण्डकोश सामान्य अवस्था में आ जाते हैं।
  8. हाथी पाँव में— आक के जड़ की छाल तथा अडूसे की छाल को पीसकर लेप करने से हाथीपाँव रोग दूर होता है।
  9. अन्दरूनी चोट में— आक के पत्तों को सरसों के तेल में उबालकर मालिश करने से गिरने या किसी ठोस वस्तु के आघात से लगी चोट में लाभ होता है।
  10. सूजन में– आक के पत्तों में अरण्डी का तेल लगाकर गरम करके बाँधने से सूजन तथा दर्द कम हो जाता है।————————————————मेरे और लेख देखें :- shukracharya.com, aapkabhavishya.com, aapkabhavishya.in, rbdhawan.wordpress.com पर।