Facial Acne Cure in Ayurveda & Color Therapy

वनौषधियों के प्रयोग:

चेहरे की फुन्सियों को हटाने के लिएः-

लगभग 100(सौ) मि. ली. ‘अरंडी(arandi) के तेल’ को ‘लाल रंग की काँच की बोतल’ में सूर्योदय से सूर्यास्त तक धूप में रखा रहने दें। लाल रंग की बोतल उपलब्ध न हो तो एक सफेद बोतल के चारों ओर लाल पारदर्शक पन्नी लपेट कर ऐसा किया जा सकता हैं। इस अरंडी के तेल में कपड़े से छना गया महीन ‘बेसन’ मिलाकर इससे बने उबटन को नियमित कुछ देर तक चेहरे पर लगाकर, तदुपरान्त चेहरा धोने से चेहरे पर विकसित होने वाली फुन्सियां दूर हो जाती हैं और चेहरा साफ हो जाता है। आवश्यकता हो, तो रात्रि पर्यन्त इस मिश्रण को चेहरे पर लगाये रहना चाहिए और सुबह-सुबह उसे धो लेना चाहिए। इस सम्बन्ध में अपने चिकित्सक से परामर्श ले लें।

 

Remove Facial Acne:-

Take approximately hundred/100 ml ‘Castor(Anrdi) Oil’ into ‘Red Bottle Glass’ in the sun from Sunrise to Sunset taken into account. If there is a bottle of white/transparent color then wrap Red Foil around a transparent Bottle. Now, put cloth poured Nice Wispy ‘Gram flour’ into this Castor Oil. Use this COSMETIC Mixture Regularly on your Face. Just Wash your Face after applying this paste on your Face. This will Cleanse the face and gently remove Facial Acne. If required, apply and leave this Mixture throughout the night and wash it early morning. Please consult your doctor in this regard, if you have sensitive skin.

Epilepsy – stop attacks as per Ayurveda

वनौषधियों के प्रयोग:

मिर्गी के लिए-

जायफल आसानी से उपलब्ध हो जाने वाला फल है। इक्कीस ‘जायफल’ लाकर उनमें से सात जायफल ‘नीले रंग की बोतल में’ तथा सात जायफल हरे रंग की बोतल में सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक धूप में रखें। इस चैदह जायफल को शेष (बिना धूप में रखे), सात जायफल के साथ पिरो कर एक माला बनाकर मिर्गी के रोग को पहनाने से उसे मिर्गी के दौरे आने बंद हो जाते हैं।

The Epilepsy-

The Nutmeg fruit is readily available. Bring Twenty-one ‘Nutmeg’, Put seven (7) of them in a ‘Blue colored Bottle’ and seven (7) of them in ‘Green colored Bottle’  in the duration from Sunrise to Sunset and then Place both the bottles in the sun/sunlight. These Fourteen (14) nutmeg and remaining seven (7) nutmeg (that were housed without the sun/sunlight), total of 21, shall be used to make a Garland / Necklet and should be worn by the Patient, this should stop him from getting an attack of the disease Epilepsy.

Wonder Ayurvedic Herbs [Medicines] Series | Part – 0 Introduction

चमत्कारी वनौषधियाँ- Wonder Ayurvedic Herbs –

भारतीय ज्योतिष(Indian Vedic Astrology) शास्त्रों में सूर्य(Sun) को जगदात्मा कहा गया है। यह सही भी है, क्योकि सृष्टि में बगैर सूर्य के विनाश सुनिश्चित है। वास्तव में सूर्य के प्रकाश में एक विशेष शक्ति निहित होती है। इसी जीवनी शक्ति के द्वारा पौधे(plants) अपने भोजन की प्राप्ति करते हैं तथा विभिन्न प्राणी भी इस पर आश्रित है। सृष्टि में जीवनचक्र को जहां सूर्य नियंत्रित करता है, वहीं दूसरी और वायुमंडल के विभिन्न गैसीय चक्र भी इसी के अधीन हैं। सूर्य की रश्मियों(spectrum) में सात प्रमुख रंगों (बैंगनी Violet, जामुनी Indigo, नीला Blue, हरा Green, पीला Yellow, नांरगी Orange और लाल Red) का एक संतुलित सम्मिश्रण होता हैं, इसलिए सृष्टि का निर्माण करने वाले पांचों तत्त्व अर्थात् जल, वायु, अग्नि, आकाश, और पृथ्वी को सूर्य अपने ही रंग में समेटे हुए है, इसमें तनिक भी संदेह नहीं। सूर्य रश्मियों में विचित्र(wonder) कीटाणुनाशक क्षमता भी है। इसीलिए जिस घर में सूर्य के प्रकाश का प्रवेश रहता है, उस घर के सभी प्राणी स्वस्थ रहते हैं। इसके विपरीत ऐसे कमरों मेें रहने वाले, जहां सूर्य का समूचित प्रकाश नहीं पहुंचता, अस्वस्थ तो रहते ही हैं, साथ ही उनकी बुद्धि-बल का भी पूर्ण विकास नहीं होता और न्यूनता दृष्टिगोचर होती है।

हम यह भी देखते हैं, कि छाया में पड़ने वाले पौधे अच्छी फसल नहीं दे पाते और सूर्य के प्रकाश के अभाव में कोई भी पौधा पनप नही सकता। इसी प्रकार जिस जलाशय मेे धूप नहीं पहुंचती उसमें कीड़े पैदा हो जाते हैं। इसके विपरीत सूर्य का प्रकाश का प्राप्त करने वाले जलाशयों का जल स्वच्छ तथा कीटाणुमुक्त तो होता ही है, इसके साथ ही साथ वह शक्ति का संचार करने वाला भी होता है। सूर्य के प्रकाश से समस्त सृष्टि लाभान्वित(benefited) होती है। जड़ -चेतन सभी पर इसका समरूप प्रभाव पड़ता है। एक भारतीय महात्मा ‘स्वामी ज्ञानानन्द’ ने तो सूर्य-रश्मियों से तमाम पदार्थो को उत्पन्न कर संसार को चमत्कृत कर दिया था। सूर्य के इन्हीं विशिष्ट गुणों के कारण भारतीय ऋषि – मुनियों और वेदाचार्यो ने सूर्य को देवता कहा है। सूर्य-चमत्कार, संध्योपासना, सूर्य जल अर्पण आदि क्रियाओं के सम्पन्न करने के पीछे भी यही रहस्य हैं। हमारे पूर्वजों को सौर रश्यिमों की सहायता से अनेक औषधियों के निर्माण की जानकारी थी।

आयुर्वेद में अभ्रक भस्म के गुण एवं प्रभाव

अभ्रक भस्म के गुण अभ्रक भस्म अनेक रोगों को नष्ट करता है, देह को दृढ करता है एंव वीर्य बढाता है। यह तरूणावस्था प्राप्त कराता और सहवास की शक्ति प्रदान करता है। राजयक्ष्मा, खांसी, उरःक्षत, कफ, दमा, धातुक्षय, विशेषकर मधुमेह, बहुमूत्र, अनेक प्रकार के प्रमेह, सोम रोग, शरीर का दुबलापन, प्रसूत रोग और अति कमजोरी, सूखीं खाँसी, काली खाँसी, पाण्डु ,दाह, नकसीर, जीर्णज्वर, संग्रहणी, शूल, गूल्म, आँव, अरूचि, अग्निमांद्य, अम्लपित्त, रक्तपित्त, पीलिया, खूनी अर्श, हृद्रय रोग, उन्माद, मृगी, मूत्रकच्छ्र, पथरी तथा नेत्र-रोगों में यह भस्म लाभदायक सिद्ध होती है।

The properties of Mica Bhasma (Incinerate) Mica Bhasma destroys many diseases, makes body firm and increases Semen Health & Count. Here are some abhrak (mica) bhasma effects as per Ayurveda. It provides the strength as of Young Age and increases & strengthens the Power for Sex. Tuberculosis , Cough , Urःksht , Cough , Asthma , Dhatuksy , Viseshkr diabetes , diabetes insipidus , diabetes , several types , Mon disease , debility of Srir , introduced disease and extreme weakness , Sukin cough , whooping cough , Pandu , throat, nosebleed , Jiarnjhwar , diarrhea , Sul , Gulm , Aँv , indisposition , indigestion , pyrosis , Rktpitt , jaundice , bloody Ars , Hridray disease , mania , doe , Mutrkchcr , calculus and eye – diseases consume it proves to be beneficial . These